हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि पितृ पक्ष के दौरान जो पितर या पूर्वज होते हैं वो धरती पर आते हैं। ऐसे में पितृ पक्ष के दौरान लोग श्राद्ध या तर्पण करते हैं। श्राद्ध या तर्पण इसलिए किया जाता है ताकि जो भी पूर्वज धरती पर आए हैं, वो यहां से प्रशन्न होकर जाएं और आशीर्वाद प्रदान करें। जो भी पितर या पूर्वज होते हैं वो चाहते हैं कि उनके वंशज उन्हें याद करें। यही कारण है कि ये देखने के लिए ही पितृ पक्ष में पितर धरती पर आते हैं। पितृ पक्ष के दौरान जो लोग श्राद्ध या तर्पण करते हैं, उनसे पूर्वज प्रशन्न होते हैं और ये जान लेते हैं कि उनके परिजन उन्हें याद करते हैं। ऐसे में पितर अपना आशीर्वाद परिवार पर बनाए रखते हैं और घर में सुख- शांति बनी रहती है।
यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष में तर्पण और श्राद्ध आदि को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। इसको लेकर ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों के लिए जो श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान किया जाता है, उससे प्रशन्न होकर पितर अपनी कृपा बरसाते हैं। लेकिन अक्सर ऐसा भी हो जाता है कि कुछ व्यक्ति इस क्रिया को कर पाने में असमर्थ होते हैं तो ऐसे में जो असमर्थ व्यक्ति हैं वो दान के माध्यम से श्राद्ध बराबर पुण्य कमा सकते हैं। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि अगर पूरी श्रद्धा से पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को दान किया जाए तो पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और उन्हें सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है। अब ये जानना सभी के लिए बेहद आवश्यक है कि दान में ऐसी कौन सी चीज़ों को शामिल करना चाहिए जिससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो और वो प्रशन्न होकर आशीर्वाद दें। तो आगे इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को क्या दान करना चाहिए।
● पितृ पक्ष के दौड़ने ब्राह्मणों को क्या दान करें?
पितृ पक्ष के दौरान वैसे तो कोई भी व्यक्ति अपनी श्रद्धा के अनुसार ब्राह्मणों को कुछ भी दान कर सकता है, सब शुभ ही होता है। लेकिन फिर भी ऐसी कुछ चीज़ें बताई गईं हैं जिनको पितृ पक्ष के दौरान अवश्य दान करना चाहिए जैसे-
◆ गोदान-
गोदान यानी गाय का दान। हिंदू धर्म में गाय का बहुत महत्व है। गाय को माता का स्वरूप माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गाय में 33 कोटि देवता वास करते हैं। गाय की आत्मा को परलोक तक पहुंचाने में बहुत अधिक भूमिका होती है। गाय ही आत्मा को वैतरणी नदी पार कराने में मदद करती है। इसीलिए हमेशा पूजा पाठ के समय गाय दान किया जाता है। वहीं पितृ पक्ष के दौड़ने गाय का दान बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि अगर श्राद्ध पक्ष में किसी ब्राह्मण को गोदान किया जाए तो इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही गोदान करते समय ये बात पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए कि गोदान ऐसे ब्राह्मण को किया जाना चाहिए जो यज्ञ करवाता हो, जो विधुर न हो, जिसका कोई अंग खराब न हो।
◆ अन्न दान-
अगर कलयुग की बात करें तो अन्न दान की गिनती महा दान में की जाती है। यही कारण है कि पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मण को अन्न दान करना चाहिए। अगर ब्राह्मण को अन्न दान न कर सकें तो किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न का दान अवश्य करें। जब भी कोई व्यक्ति अन्न दान करे तो ये ध्यान रखे कि अन्न दान करते समय किसी भी तरह का कोई अभिमान मन के अंदर नहीं होना चाहिए। अन्न दान से प्रशन्न होकर पितर अपना आशीर्वाद देते हैं और वंश में वृद्धि होती है।
◆ नमक दान-
नमक के बिना तो हर एक भोजन अधूरा है। इसके बिना कोई भी भोजन परिपूर्ण नहीं है। इसीलिए श्राद्ध पक्ष में नमक का दान किया जाना भी अत्यंत आवश्यक है। श्राद्ध पक्ष में जब किसी व्यक्ति के द्वारा अन्न दान किया जाए, उसके साथ में नमक का दान भी किया जाना चाहिए। नमक दान करने को लेकर यह मान्यता है कि पितरों के कर्ज से मुक्ति मिल जाती है और इसके साथ- साथ नकारात्मक ऊर्जा से भी मुक्ति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
◆ तिल दान-
पितृ पक्ष के दौरान काले तिल का महत्व बढ़ जाता है। पितरों के लिए की गई किसी भी तरह की पूजा या श्राद्ध में तिल का विशेष महत्व होता है। ये भी माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति अपने पूर्वजों को बिना तिल के जल देता है तो वो जल पितरों को प्राप्त ही नहीं होता है। इसीलिए इसका विशेष महत्व है। यदि कोई व्यक्ति श्राद्ध करने में असमर्थ है तो वो श्राद्ध पक्ष में एक मुट्ठी तिल ब्राह्मण को दान कर दे। ब्राह्मण को तिल दान करने से श्राद्ध करने जितना ही पुण्य प्राप्त होता है।
◆ वस्त्रों का दान-
पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को वस्त्रों का दान भी अवश्य किया जाना चाहिए। ऐसा माना गया है कि एक मनुष्य की तरह ही पितरों को भी सर्दी और गर्मी का एहसास होता है। यही कारण है कि पितर अपने परिजनों से वस्त्र की इच्छा रखते हैं। ऐसे में यदि पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को वस्त्रों का दान किया जाता है तो पितर प्रशन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है।