जब एक बच्चे का जन्म होता है तो विभिन्न प्रकार की परंपराओं के साथ बच्चे का स्वागत किया जाता है तथा जब किसी व्यक्ति का देहांत होता है तो बहुत ही सारी रीति- रिवाज के साथ व्यक्ति को अंतिम विदाई दी जाती है। हर धर्म में अंतिम संस्कार को लेकर अलग-अलग मान्यता होती है। गरुण पुराण के अनुसार, उक्त सभी कार्यों को करने के विशेष प्रकार के रीति-रिवाज होते है।
व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए नियम से कार्य करने आवश्यक होते है। जिससे व्यक्ति के नए शरीर में प्रवेश के द्वार खुलते हैं अर्थात व्यक्ति स्वर्ग में जाता है। हिंदुओं में व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जाता है और साधु-संतों तथा बच्चों को दफनाया जाता है। दोनों ही तरीके यदि वैदिक रीति और सभ्यता से किये जाएं तो उचित हैं।
दाह संस्कार की सामग्री-
1. शुद्ध देशी घी
2. कपूर
3. चन्दन की लकड़ी/ चूरा
4. चिता के लिए लकड़ी
5. गाय का दूध
6. तुलसी, पीपल
7. फिर शव का संस्कार किया जाता है।
शरीर त्यागने के बाद के कार्य-
1. अर्थी बनाने तथा बांस आदि बिछाने के लिए चटाई/कुशासन।
2. शव को ओढाने के लिए राम नाम की चादर
3. सफेद नया कपड़ा, गमछा, कुर्ता पजामा
4. सौभाग्यवती स्त्री के शरीर को ढकने के लिए चुनरी/ रंगीन गोटेदार ओढ़नी, तथा सजाने के लिए श्रृंगार की वस्तुएं।
5. शव को बांधने के लिए मूँज की रस्सी, सौभाग्यवती स्त्री के शव को बांधने के लिए मौली तथा पुरुष को बांधने के लिए सूत।
6. इत्र, गुलाब जल, केवड़ा
7. धूपबत्ती/अगरबत्ती
8. माचिस
9. रुई
10. अबीर
11. मिट्टी का घड़ा, दिया/ थाली( पिण्ड को रखने के लिए)
12. लोटा
13. अर्थी को सजाने के लिए फूल
14. जनेऊ (दो जोड़ा)
15. शव के ऊपर से उछालने के लिए चांदी के सिक्के, सफेद फूल, धान का लावा, रुपये।
16. शव की परिक्रमा के लिए गोला( स्त्री के लिए गरी का गोला तथा पुरुषों के लिए नारियल का गोला)
17. गौमूत्र
18. हवन सामग्री
19. कपूर
शव संस्कार
शव को स्नान करवा कर नए वस्त्र से शरीर को पोंछ कर घी का लेप लगाकर नए वस्त्र पहना देने चाहिए। फिर चन्दन का लेप कर दें उसके बाद तुलसी और फूल की माला पहना दें। मुंह में सोने का टुकड़ा डाल दें। सुगंधित द्रव्य का शरीर पर लेप कर दें फिर नए वस्त्र से ढंक दें , और उसके बाद कुशासन पर लिटाकर शव को उत्तर की ओर सिर कर के लिटा दें, और कलावे से शव को बांध दें। राम नाम की चादर ओढा के फूलों से सजा दें। उसके बाद बड़ा बेटा/ श्राद्ध कर्ता स्नान करके वस्त्र धारण करने के बाद 6 पिंडो का निर्माण करते हैं।
पिण्ड दान के लिए सामग्री-
1. गाय का शुद्ध देशी घी
2. काले तिल
3. जौ का आटा
4. शहद
अंतिम संस्कार में शामिल होना पुण्य का काम है, इसका ज्ञान सभी को होना आवश्यक है। जिस घर में व्यक्ति का देहांत हुआ होता है उसके 100 गज की दूरी तक के घरों से लोगों को अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहिए। प्रत्येक सक्षम व्यक्ति अगर सम्भव हो तो शव को कंधा देना भी पुण्य का कार्य बताया गया है।
दाह संस्कार के नियम:
◆ धर्म के अनुसार लकड़ी की चिता बनाकर पूरे रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करना चाहिए। शव को श्मशान घाट ले जाने से पहले कुटुम्ब के लोगों को पार्थिव शरीर की परिक्रमा करनी चाहिए। श्मशान घाट ले जाने के बाद जिस व्यक्ति द्वारा अंतिम संस्कार किया जाएगा वो शव की एक छेद वाले घड़े के साथ परिक्रमा करता है तथा उसके बाद घड़े को फोड़ दिया जाता है। इस क्रिया को करने के पीछे एक कारण बताया जाता है कि इस क्रिया को कर के सारे तत्वों को शामिल किया जाता है तथा हमारा जीवन छेद रूपी घड़े के समान है जो जल की भांति पल-पल खत्म हो रहा है।
◆ दिशा का भी उचित ध्यान रखते हुए शव का शरीर जाने की दिशा में आगे और पैर पीछे रखने चाहिए। फिर शव को वेदी पर रखा जाता है जिससे व्यक्ति संसार को देख ले। उसके बाद शव के पैर आगे और सिर पीछे कर दिया जाता है, जिससे व्यक्ति श्मशान को देखते हुए आगे बढ़े। उसके बाद शव को चिता पर रखते हैं और सिर को दक्षिण की दिशा में करते हैं।
ऐसा इसलिए किया जाता है यदि किसी व्यक्ति के प्राण निकलने में मुश्किल हो रही होती है तो गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उत्तर दिशा की ओर सिर करने से प्राण निकलने में आसानी होती है तथा दक्षिण दिशा यमराज की होती है और पार्थिव शरीर को मृत्यु देवता को समर्पित करने के लिए शव का सिर दक्षिण में रखते हैं।
◆ हिन्दू धर्म के अनुसार व्यक्ति का दाह संस्कार सूर्यास्त के बाद नहीं करना चाहिए। यदि किसी की मृत्यु सूर्यास्त के बाद हुई है तो उसका दाह संस्कार अगले दिन करना चाहिए।