हिंदू धर्म में हर एक चीज़ का बहुत महत्व है। इसमें हर काम विधि विधान और शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन करके किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई भी कार्य नियमों का पालन करते हुए नहीं किया जाता है तो कहीं न कहीं, कोई न कोई परेशानी लगी रहती है। इसीलिए शास्त्रों को हिंदू धर्म में विशेष महत्व प्रदान किया गया है।
मनुष्य के जीवन में शास्त्रों का बहुत अधिक महत्व होता है।शास्त्री में बहुत सारी ऐसी बातें लिखीं हैं जो कहीं न कहीं सीधे हमारे जीवन से जुड़ी होती हैं। शास्त्रों में लिखी इन बातों का प्रभाव भी हमारे जीवन पर बहुत ज्यादा पड़ता है। अक्सर क्या होता है कि हम शास्त्रों में जो बातें लिखी गईं हैं उन्हें जानते तो हैं लेकिन उन्हें समझते नहीं है। बहुत से लोग हैं जिन्हें शास्त्रों में लिखी गई बातों के बारे में पता तो है, लेकिन उसका क्या परिणाम होता है, ये उन्हें नहीं पता होता।
शास्त्रों में इस बात का वर्णन किया गया है कि रात के समय नाखून नहीं काटने चाहिए, भोजन हमेशा ज़मीन पर बैठकर ही किया जाना चाहिए। ये सारी बातें मनुष्य के जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं। इसी में मनुष्य के 16 संस्कारों का भी वर्णन किया गया है। जिसमें अंतिम संस्कार आखिरी संस्कार होता है। अंतिम संस्कार को लेकर भी बहुत सारे नियम हैं। दाह संस्कार को लेकर एक नियम ये भी है कि कभी भी दाह संस्कार को रात में नहीं किया जाना चाहिए। क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है? आज हम आप सभी को इस लेख में इसी की जानकारी देने जा रहे हैं कि आखिर क्यों दाह संस्कार रात में नहीं किया जाता है।
● क्यों रात के समय दाह संस्कार करने से किया जाता है मना?
हिंदू धर्म के 16 संस्कारों का वर्णन किया गया है जिसमें से आखिरी जो संस्कार होता है वो दाह संस्कार ही होता है। ये संस्कार तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इस अनुष्ठान को पूर्ण करने के लिए कुछ विशेष नियम बताए गए हैं और इनका पालन अवश्य ही किया जाना चाहिए। इसमें से प्रमुख है की सूर्यास्त के बाद कभी भी अंतिम संस्कार नहीं किया जाना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद, रात के समय में अगर अंतिम संस्कार किया जाता है तो इससे मृत व्यक्ति को कभी भी मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है और उसकी आत्मा इधर उधर भटकती ही रहती है। कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्ति की मृत्यु रात में ही हो जाती है और प्राण रात में ही निकल जाते हैं। इसके बाद भी उसका अंतिम संस्कार उसी समय रात में नहीं किया जाता है और सूर्योदय के होने का इंतज़ार किया जाता है।
शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि रात होने के बाद स्वर्ग लोक के जितने भी द्वार हैं वो सभी बंद हो जाते हैं। रात्रि के समय में नरक लोक के द्वार खुल जाते हैं। ऐसे में अगर किसी भी व्यक्ति का अंतिम संस्कार रात में किया जाता है तो उसे स्वर्ग लोक की प्राप्ति नहीं होती है और नर्क लोक के द्वार उसके लिए खुल जाते हैं। नरक लोक की प्राप्ति के साथ ही मृत व्यक्ति को अगले जन्म में किसी अंग दोष के साथ जन्म मिलता है।
● कैसे किया जाता है अंतिम संस्कार?
मृत्यु हो जाने के बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया की जाती है और इसको पूरे विधि का से किया जाना चाहिए अन्यथा मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। जब अंतिम संस्कार किया जाता है तो एक घड़े में पानी भरकर मृत शरीर के चारों ओर परिक्रमा की जाती है। इसके बाद उस पानी के घड़े को फोड़ दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि शास्त्रों में इसकी बहुत मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से आत्मा का जो अपनी शरीर के प्रति लगाव होता है वो खत्म हो जाता है और फिर उसे मुक्ति मिल जाती है ।
जब मृत्यु शैय्या पर मृत शरीर को रखा जाता है तो उस समय परिक्रमा करने के साथ ही व्यक्ति के जीवन की कहानी भी सुनाई जाती है। जो घड़ा लेकर मृत शरीर की परिक्रमा की जाती है उसे मनुष्य माना जाता है, वहीं घड़े में जो जल होता है उसे व्यक्ति का समय माना जाता है। घड़े में एक छेद होता है जिसमें से जल बाहर आता रहता है। जैसे-जैसे घड़े का कम होता जाता है, वैसे- वैसे व्यक्ति की उम्र भी घटती रहती है। फिर अंत में जब घड़े को तोड़ दिया जाता है तो इससे ये दर्शाया जाता है कि अब व्यक्ति का जीवन समाप्त हो चुका है और शरीर में वास करने वाली आत्मा का अंत हो चुका है।
यही कारण है कि रात के समय में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया नहीं की जाती है। यदि ऊपर बताए गए नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो ऐसा माना जाता है कि आत्मा को मुक्ति नहीं मिल पाती है और मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है।