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प्रयागराज

कोई भी व्यक्ति फिर चाहे वो किसी भी विशेष धर्म का क्यों न हो, सबको मोक्ष के बारे में जानकारी होती है। मोक्ष का मतलब है दुनिया से मुक्त हो जाना। दुनिया से मुक्त हो जाना भी कोई आसान प्रक्रिया नहीं है। जिस व्यक्ति के शरीर से प्राण निकलते हैं, वो पीड़ा असहनीय होती है। फिर जब एक बार व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है उसके बाद भी उसकी राह आसान नहीं रहती है। प्राण निकलने के बाद मृत व्यक्ति के कर्म ये निर्धारित करते हैं कि मृत व्यक्ति की आत्मा को कौन से लोक में जगह मिलेगी।

जीवित रहते व्यक्ति ने जैसे भी कर्म किये होते हैं, मरने के बाद उसी के अनुसार उसे स्वर्ग लोक या नरक लोक की प्राप्ति होती है। ऐसे में जो व्यक्ति जीवित रहते अच्छे कर्म करता है, उसके प्राण निकलने में ज्यादा कठिनाई भी नहीं होती है, परन्तु जो जीवित रहते अच्छे कर्म नहीं करता है, उसके प्राण आसानी से नहीं निकलते हैं और उसे बहुत कष्टों को सहना पड़ता है।

जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसके बाद उसके परिजनों को पूरे विधि- विधान और रीति- रिवाज से उसका अंतिम संस्कार करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जिस मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार सही तरह या रीतियों का पालन करते हुए नहीं किया जाता है, उन्हें मुक्ति नहीं मिलती है और उनकी आत्मा भटकती रहती है और परिजन को परेशान करती है। इसी के साथ अगर हम बात करें हिंदू धर्म की तो हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के रूप में मृत शरीर को जलाने की मान्यता है।

अंतिम संस्कार के बाद फिर अस्थियों का विसर्जन भी किया जाता है। हिंदू धर्म में अस्थियों को विसर्जित करने की भी बहुत मान्यता है। भारत में कुछ बहुत ही पवित्र स्थान हैं जहां पर अगर अस्थियों का विसर्जन किया जाए तो उसका विशेष महत्व है।उन स्थानों में से एक पवित्र स्थान तीर्थराज ‘प्रयाग’ भी है। इस स्थान को इलाहाबाद के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर किये जाने वाले अस्थि विसर्जन की बहुत मान्यता है और दुनियाभर में ये स्थान प्रसिद्ध है।

● तीर्थराज प्रयाग में अस्थि विसर्जन

धार्मिक दृष्टि से प्रयागराज का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि यहां देवता मनुष्यों का रूप धारण करके धरती पर आते हैं और उनके जो भी पाप होते हैं, उनका प्रायश्चित करने के लिए वो इस पवित्र स्थल पर स्नान करते हैं।यहां हर साल दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। पवित्र स्थल प्रयाग में हर साल लाखों लोग आकर अपने पापों को धोते हैं और कई लोग यहां अपने परिजनों की अस्थियों को विसर्जित करने भी आते हैं।

प्रयागराज शहर भारत के उत्तर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित है। इस पवित्र शहर में तीन नदियों का संगम देखने को मिलता है और पूरे विश्व में नदियों का ये संगम प्रसिद्ध है। गंगा, यमुना और सरस्वती का ये संगम सभी के पापों का नाश कर देता है। जो भी व्यक्ति इस पवित्र स्थान पर आकर स्नान करता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं और वो पुनर्जन्म के चक्र से भी मुक्त हो जाते हैं। इसी साथ भारत देश में त्रिवेणी संगम अस्थि विसर्जन के लिए भी काफी लोकप्रिय स्थान है।

हिंदू पवित्र ग्रन्थों में ऐसा वर्णन किया गया है कि हिंदू देवता भगवान ब्रह्मा ने निर्वासन में रहते हुए नदियों के इस संगम पर भक्ति बलिदान किया था या प्राकृत यज्ञ किया था। यही कारण है कि प्रयागराज को पवित्र स्थानों में शामिल किया गया और यही नहीं इस स्थान को पवित्र स्थानों का एक राजा बना दिया। ये स्थान हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व रखता है। ऐसा बताया जाता है कि इसी पवित्र स्थान पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अस्थियों का विसर्जन भी 1948 में किया गया था।प्रयागराज में अस्थि विसर्जन का महत्व बहुत ज्यादा है।

● गंगा जी में ही क्यों किया जाना चाहिए अस्थि विसर्जन?

माता गंगा को सनातन धर्म मे मोक्ष दायिनी के नाम से जाना जाता है। जो व्यक्ति गंगा में स्नान कर लेता है, उसको 10 पापों से मुक्ति मिल जाती है। ऐसा माना जाता है कि मां गंगा इस धरती पर तो बहती ही है, इसके साथ ही उनकी दो अन्य धारा भी है जो पाताल में और आकाशगंगा है। गंगा को हिंदू धर्म मे बहुत ज्यादा पवित्र माना जाता है। बच्चे के मुंडन से लेकर मृत्यु के बाद व्यक्ति की अस्थियों के विसर्जन तक, हर काम गंगा घाट पर ही संपन्न किया जाता है।

मां गंगा को सर्वोच्च स्थान इसीलिए दिया गया है क्योंकि माता गंगा श्रीहरि के चरणों से निकली थी। उन्होंने भगवान शिव की जटाओं में वास किया था और तब पृथ्वी पर नीचे आई थीं। यही कारण है कि गंगा को स्वर्ग की नदी कहा जाता है। गंगा नदी के किनारे जिस व्यक्ति का निधन होगा है, माना जाता है कि उसके सारे पाप धुल जाते हैं और उसे बैकुंठ की प्राप्ति होती है। इसीलिए अगर किसी की मृत्यु गंगा किनारे नहीं भी होती है तो भी उसकी अस्थियों को गंगा में ही प्रवाहित किया जाता है जिससे कि उसके पाप धुल जाएं और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सके।

गंगा में अस्थियों को प्रवाहित करने से स्वर्ग का मार्ग खुल जाता है और व्यक्ति को यमदण्ड का सामना भी नहीं करना पड़ता है। गंगा में अस्थियां डालने से पाप तो नष्ट हो जाते हैं और आत्मा को नया मार्ग भी मिल जाता है। भारत में प्रयाग, हरिद्वार, काशी और नासिक कुछ प्रमुख जगह हैं जहां पर अस्थियों को पूरे विधि विधान से प्रवाहित किया जाना। इससे सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति की अस्थियां काफी समय तक गंगा नदी में ही रहती हैं। धीरे धीरे मां गंगा उन अस्थियों के माध्यम से इंसान के पाप को नष्ट करती हैं।

और फिर इंसान की आत्मा के लिए नया मार्ग खुल जाता है।अगर किसी भी व्यक्ति को अपने परिजनों की अस्थियों का विसर्जन प्रयागराज की पवित्र भूमि पर करना है तो हमारी Last journey को टीम आप सभी के साथ रहेगी और आप अस्थि विसर्जन के लिए हम से संपर्क कर सकते हैं।

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