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आर्य समाज - अंतिम संस्कार 2

 भारत देश को ‘विविधता में एकता’ से जाना जाता है। यहां आपको अलग अलग संस्कृति, अलग अलग धर्म के लोग देखने को मिलते हैं। हर धर्म की अलग अलग मान्यताएं, अलग अलग रीति रिवाज हैं। अंतिम संस्कार को लेकर भी हर धर्म और समाज की अलग अलग धारणा है। ऐसा ही कुछ आर्य समाज में भी है। आइये जानते हैं कि आर्य समाज में अंतिम संस्कार की क्या विधि है।

● आर्य समाज क्या है?

सबसे पहले जानते हैं कि आर्य समाज क्या है। जो आर्यशब्द है, इस अकेले शब्द का मतलब ही होता है ‘श्रेष्ठ’। इस तरह से आर्य समाज का मतलब हुआ श्रेष्ठ और प्रगतिशील लोगों का एक समाज। इस समाज के अंतर्गत ऐसे व्यक्ति आते हैं जो वेदों के अनुकूल चलने की कोशिश में लगे रहते हैं। इसके साथ ही ये अन्य लोगों को भी इस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। आप आर्य समाज के जितने भी नियम या सिद्धांत देखेंगे, आप पाएंगे कि ये सारे के सारे वेदों पर ही आधारित हैं। इनके जो आदर्श हैं वो श्रीकृष्ण और मर्यादा पुरुषोत्तम राम हैं। इसकी स्थापना महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने की थी। इनकी बहुत सारी मान्यताएं हैं जैसे कि आर्य समाज सच्चे ईश्वर की पूजा करने को कहता है।

 आर्य समाज

● आर्य समाज और हिन्दू

जैसा कि अभी हमने बताया कि आर्य समाज को स्थापित करने वाले दयानंद सरस्वती जी थे। उन्होंने इसकी स्थापना 10 अप्रैल 1875 में की थी। ये एक हिन्दू सुधार आंदोलन है। इस आंदोलन को शुरू करने के पीछे ये उद्देश्य था कि पाश्चात्य प्रभावों की प्रतिक्रिया के स्वरूप हिन्दू जो संस्कृति है उसमें सुधार लाना। जो भी आर्य समाजी होते हैं वो मूर्ति पूजा, झूठे कर्मकांड, बलि आदि चीज़ों में विश्वास नहीं करते हैं बल्कि वो सब वेदों के अनुकूल ही कार्य करने का प्रयत्न करते हैं।

● आर्य समाज में श्राद्ध

आर्य समाज की मान्यता के अनुसार मृत व्यक्ति का नहीं बल्कि जीवित व्यक्ति का श्राद्ध किया जाता है। इसके हिसाब से श्राद्ध का मतलब होता है अपने माता पिता, गुरुजन ( जिन्होंने व्यक्ति को शिक्षा प्रदान की है, उन्हें सारे संसाधन प्राप्त करवाए हैं ) के प्रति श्रद्धा।

● आर्य समाज में श्राद्ध के नियम

 आर्य समाज में ये माना जाता है कि जितनी जल्दी शोक से दूर हो जाएं, उतना बेहतर है। इसीलिए इसके अंतर्गत तीसरे दिन ही शांति पाठ सम्पन्न करा दिया जाता है। इसके साथ ही जो भी आचार्य होते हैं, जो पाठ करवाते हैं या फिर संस्कार करवाते हैं, वो लोग कोई भी शुल्क की मांग नहीं करते हैं। उन्हें जो भी श्रद्धा से दे दिया जाता है, वो उसी में खुश हो जाते हैं।

● आर्य समाज मृत्यु के बाद मुंडन क्यों

जब एक बच्चा जन्म लेता है तो उसके बाद घर मे सूतक लग जाता है, ठीक वैसे ही जब किसी की मृत्यु होती है तो भी घर में सूतक लगता है जिसको पदक के नाम से जाना जाता है। ऐसे में घर में अशुद्धि या अपवित्रीकरण रहता है। इसी को दूर करने के लिए मुंडन करवाया जाता है। इसके अलावा इसके पीछे एक और महत्व है जो कि स्वच्छता से जुड़ा हुआ है। मृत्यु के बाद मुंडन इसलिए भी कराया जाता है क्योंकि मृत्यु के बाद शरीर में सड़न शुरू होने लगती है और बहुत सारे जीवाणु शरीर में अपना बसेरा बना लेते हैं। ऐसे में रिश्तेदार और परिवार के लिए शरीर को कई बार छू लेते हैं श्मशान तक ले जाने तक। इसीलिए उनमें जीवाणु के जाने का खतरा हो जाता है।

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