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अंतिम-संस्कार

मानव का जो जीवन है वो एक चक्र के समान है। ये जीवन चक्र हमेशा घूमता रहता है। जिस तरह से जन्म के बाद मृत्यु का होना तय होता है, ठीक वैसे ही मृत्यु के बाद व्यक्ति को नया जन्म भी मिलता है। जन्म के समय भी तरह तरह की परम्पराएं और रीति रिवाज से एक बच्चे का स्वागत किया जाता है। वहीं जब किसी की मृत्यु हो जाती है तब भी पूरे रीति रिवाज के साथ ही व्यक्ति को अंतिम विदाई दी जाती है। हर धर्म में अंतिम विदाई को लेकर अलग अलग मान्यता होती है। आइये जानते हैं कि हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है।

● अंतिम संस्कार में सभी का शामिल होना शुभ माना गया है- यह जानना सभी के लिए बहुत ज़रूरी है। अक्सर लोग अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो वहां से दूरी बना लेते हैं, मगर ये सही नहीं है। बल्कि इसको तो बहुत सौभाग्य वाला माना गया है। जो भी लोग अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है। 100 गज दूर तक बसे घरों के लोगों को भी इसमें शामिल होना चाहिए। इसके साथ जहां तक संभव हो सके तो मरने वाले को कंधा देना भी पुण्य का काम माना जाता है।

● रीति रिवाजों का पालन किया जाना चाहिए- ये तो हम सभी जानते ही हैं कि हिन्दू धर्म में रीति रिवाज और परंपरा को कितना महत्व दिया जाता है। अंतिम संस्कार को भी रीति रिवाज और नियमों के साथ ही किया जाना चाहिए। जब तक सभी कार्य पूरे नियमों का पालन करके नहीं किये जाते हैं तब तक आत्मा को शांति की प्राप्ति नहीं होती है। वहीं अगर अंतिम संस्कार पूरी विधि विधान से होता है तो आत्मा के लिए नए शरीर में प्रवेश करने के जो द्वार होते हैं वो खुल जाते हैं और उसको स्वर्ग में जगह मिल जाती है। हिंदू धर्म में बच्चों और साधु संतों को जलाने का रिवाज नहीं है, बल्कि इन्हें दफनाया जाता है। जलाने और दफनाने, दोनों ही तरीकों को वैदिक सभ्यता से अगर किया जाए तो ही उचित माना जाता है।

● मृत शरीर की परिक्रमा करनी चाहिए- जब मृत शरीर को श्मशान ले जाया जाता है, उससे पहले जो भी कुटुंब के लोग होते हैं वो उस पार्थिव शरीर की परिक्रमा करते हैं। इसके बाद जब शरीर को श्मशान ले जाया जाता है तो वहां पर जो व्यक्ति संस्कार करता है और सारे क्रिया कलाप करता है, वो चिता पर रखे हुए शरीर की, एक छेद वाले घड़े में जल लेकर परिक्रमा करता है। फिर घड़े को फोड़ दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि शरीर से मोहभंग को दूर किया जा सके। साथ ही इस क्रिया को करने के पीछे एक कारण और भी है, वो यह है कि माना जाता है कि इस क्रिया को करके सारे तत्वों को शामिल किया जाता है।

● उचित दिशा का ज्ञान होना ज़रूरी है- जब भी शरीर को श्मशान तक ले जाया जाता है तो हमेशा सिर को आगे और पैर को पीछे रखा जाता है। इसके बाद मृत शरीर को विश्रांत स्थल पर एक वेदी पर रखने की प्रक्रिया है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि आखिरी बार जो मृत व्यक्ति है वो इस संसार को देख सके। इसी के बाद मृत देह की दिशा में बदलाव कर दिया जाता है और पैरों को आगे तथा सिर को पीछे कर दिया जाता है। इसका ये मतलब होता है कि अब मृत शरीर को श्मशान का रास्ता देखते हुए आगे बढ़ना होता है। फिर जब शरीर को चिता पर लेटाया जाता है तब शरीर का सिर चिता पर दक्षिण दिशा की ओर कर दिया जाता है।

● दाह संस्कार करने के नियम- उसी दाह संस्कार को श्रेष्ठ माना जाता है जिसमें पूरे रीति रिवाज का पालन करके मृत शरीर को लकड़ी की चिता पर लेटाया जाता है। जब भी दाह संस्कार किया जाए तो वो पूरे आदर और सम्मान के साथ किया जाना चाहिए। इसी से सभ्यता व असभ्यता का बोध होता है। श्मशान तक पूरे अनुशासन का पालन किया जाना चाहिए। जब शरीर को अग्नि दी जाए तब वैदिक या फिर पौराणिक मान्यताओं का पालन अवश्य करना चाहिए।

● मुंडन संस्कार भी होना चाहिए- दाह संस्कार के बाद जितने भी पुरूष परिजन होते हैं, उनका मुंडन संस्कार किया जाता है। इसके पीछे दो कारण छुपे हुए हैं। पहला कारण तो है कि इससे मृत व्यक्ति के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट किया जाता है। दूसरा कारण है कि जो भी संक्रमण का खतरा रहता है वो खत्म हो जाता है। मृत्यु के बाद शरीर में सड़न शुरू होने लगती है और बहुत सारे जीवाणु शरीर में अपना बसेरा बना लेते हैं। ऐसे में रिश्तेदार और परिवार के लिए शरीर को कई बार छू लेते हैं श्मशान तक ले जाने तक। इसीलिए उनमें जीवाणु के जाने का खतरा हो जाता है।

● पिंडदान करना अनिवार्य- जब दाह संस्कार हो जाता है उसके बाद उठावना के रूप में तीसरा मनाया जाता है। फिर 10वें दिन शांतिकर्म होता है जिसमें मुंडन संस्कार को शामिल किया जाता है। इसके बाद 12वें दिन पिंडदान किया जाता है और अंत में 13वें दिन मृत्युभोज किया जाता है। व्यक्ति को मरने के बाद ऊपर के लोक में सफर करना होता है। इसके लिए व्यक्ति को ऊर्जा चाहिए होती है। ये ऊर्जा मृत आत्मा को उसके परिजनों के द्वारा पिंडदान करने से ही मिलती है।

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