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अंतिम संस्कार nahana

आखिर अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद नहाना क्यों हो जाता है आवश्यक?

क्या है इसके पीछे का धार्मिक तथा वैज्ञानिक कारण?

जब भी किसी मृत व्यक्ति की शव यात्रा निकाली जाती है तो उसके बाद दाह संस्कार के हो जाने के बाद, जितने भी लोग उसमें शामिल हुए होते हैं वो नहाते ज़रूर हैं। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? आखिर दाह संस्कार हो जाने के बाद लोग नहाते क्यों हैं?

किसी भी इंसान का अगर जन्म होता है तो उसके बाद एक न एक दिन उसकी मृत्यु का होना भी तय होता है। जन्म और मृत्यु ये तो जीवन का ही एक हिस्सा है। जो दुनिया में आया है, उसे दुनिया को छोड़कर जाना भी होगा। कोई अमर होकर आज तक नहीं आया। जब लोग जन्म लेते हैं तो वो धर्म के रीति रिवाजों के बंधन में बंध जाते हैं। फिर जब तक लोगों का जीवन चलता है वो तब तक धर्म की सीमा में रहकर ही काम करते हैं।

धर्म के अनुसार मृत्यु के बाद के भी काफी सारे रीति रिवाज हैं और इन सबकी बहुत ज्यादा मान्यता भी है। जैसे अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो अगर आप उनके अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं तो इससे बड़ा पुण्य का काम कोई और नहीं है। साथ ही अगर आप मृत शरीर को कंधा प्रदान करते हैं तो इसको भी धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है। वहीं दूसरी ओर यह भी माना जाता है कि अगर किसी का अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज और वैदिक संस्कृति के साथ किया जाता है तो उसको स्वर्ग की प्राप्ति होती है और उसकी आत्मा को कोई भी कष्ट नहीं होता है, परन्तु अगर रीति रिवाज के बिना किसी का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है तो फिर उसकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिल पाती है और वो भटकती ही रहती है।

इसके अलावा कई बार आप सभी ने ध्यान दिया होगा कि जब भी किसी मृत व्यक्ति की शव यात्रा निकाली जाती है तो उसके बाद दाह संस्कार के हो जाने के बाद, जितने भी लोग उसमें शामिल हुए होते हैं वो नहाते ज़रूर हैं। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? आखिर दाह संस्कार हो जाने के बाद लोग नहाते क्यों हैं? इसके पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही कारण छुपे हुए हैं। हम यहां दोनों के बारे में जानेंगे।

● वैज्ञानिक कारण-

आजकल वैसे भी लोग धार्मिक चीज़ों में ज्यादा विश्वास नहीं करते हैं और हर चीज़ को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही देखना पसंद करते हैं। जितने भी आधुनिक काल के व्यक्ति हैं, उनमें से ज्यादातर लोगों का यह मानना है कुछ भी अगर देश दुनिया में घटित हो रहा है तो उसके पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण अवश्य ही होगा। ऐसे में हम सभी के लिए ये जानना बेहद आवश्यक हो जाता है कि दाह संस्कार हो जाने के बाद नहाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या है। इसके पीछे का जो विज्ञान है वो यह मानता है कि जब किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसका जो मृत शरीर होता है उसमें बहुत सारे बैक्टीरिया अपना स्थान बना लेते हैं और उस पर हावी हो जाते हैं। ऐसे में इन बैक्टीरिया का संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। ये फिर दूसरे लोगों के शरीर में भी पहुंच जाते हैं। श्मशान तक पहुंचने तक शव यात्रा में शामिल लोग कई बार मृत शरीर को छू लेते हैं जिसकी वजह से संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए अंतिम संस्कार हो जाने के बाद नहाना बेहद जरूरी माना जाता है। इससे शरीर में कोई भी बैक्टीरिया प्रवेश नहीं कर पाता है और साथ ही नहाने से जो भी कीटाणु आदि होते हैं वो सब पानी के साथ ही बह जाते हैं। ये तो था वैज्ञानिक कारण अब जान लेते हैं धार्मिक कारण के बारे में।

● धार्मिक कारण-

हिंदुस्तान एक विशाल देश है। यहां विविधता में एकता देखने को मिलती है। विविधता से ये मतलब है कि यहां अलग अलग धर्म जाति के लोग एक साथ रहते हैं। अब जितने भी धर्म होंगे, उन सबकी अपनी अलग अलग परंपरा और रीति रिवाज तो होंगे ही। ऐसे में मृत्यु को लेकर भी सबकी अपनी अलग मान्यता है। हिन्दू धर्म में भी बहुत सारी मान्यता है जिसमें दाह संस्कार हो जाने के बाद नहाने को ज़रूरी माना गया है। चलिए जानते हैं कि धार्मिक दृष्टिकोण से इसके पीछे का कारण क्या है। हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि श्मशान घाट पर लगातार दाह संस्कार होते हैं। ऐसे में वहां पर एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा पनपने लगती है। यह नकारात्मक ऊर्जा बहुत ज्यादा खतरनाक होती है। यह इतनी खतरनाक होती है कि किसी भी कमजोर मनोबल के इंसान को हानि भी पहुंचा सकती है। यही कारण भी है कि महिलाओं को श्मशान घाट नहीं जाने दिया जाता है। महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा भावुक होती हैं। इसीलिए उनका मनोबल कमज़ोर पड़ जाता है। इसके अलावा एक और कारण यह भी है कि जब किसी मृत व्यक्ति का दाह संस्कार किया जाता है तो कुछ समय के लिए उसकी जो आत्मा होती है वो वहीं पर मौजूद रहती है और वो अपनी प्रकृति के हिसाब से कोई हानिकारक प्रभाव भी डाल सकती है। ऐसे में जो भी लोग वहां शामिल होते हैं वो नहाते ज़रूर हैं। इससे नकारात्मक ऊर्जा तो दूर भागती है। साथ ही मृत आत्मा भी मुक्त रहती है और किसी भी तरह की कोई हानि नहीं पहुंचाती है।

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