सावन का महीना आरंभ होते ही, जगह- जगह मंदिरों में, लोगों के घरों में रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है। रुद्राभिषेक को लेकर ये मान्यता है कि इस पूजा को करने से भगवान शिव प्रशन्न होते हैं एवं मनचाहा फल प्रदान करते हैं। इसके साथ ही रुद्राभिषेक करने से ग्रह जनित दोषों और रोगों से भी मनुष्यों को शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है।
शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना गया है कि सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र हैं और रुद्र की आत्मा में हर एक देवता बसे हुए हैं। रुद्र भगवान शिव का ही एक रूप है। ये रूप भोलेनाथ को बहुत अधिक प्रिय है। यही कारण है कि भोलेनाथ के महीने सावन में रुद्राभिषेक को बहुत लाभदायक माना जाता है। सावन महीने में सोमवार को खासतौर पर रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाना चाहिए। सावन के सोमवार के दिन अगर रुद्राभिषेक किया जाता है तो इससे भोलेनाथ बहुत प्रशन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहे फल प्रदान करते हैं।
इस अभिषेक को कराने के बाद शमीपत्र, बेलपत्र, दूब तथा कुशा आदि से भोलेनाथ की पूजा की जाती है। इसके बाद अंत में भोलेनाथ को भोग के रूप में भांग एवं धतूरा समर्पित किया जाता है। रुद्राभिषेक हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। भोलेनाथ को प्रशन्न करने के लिए सावन मास में इसका आयोजन किया जाना चाहिए। लेकिन क्या आप इसके महत्व एवं लाभ को जानते हैं? आज हम आपको इस आर्टिकल केन रुद्राभिषेक के बारे में ही बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं कि रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है एवं इससे क्या लाभ होता है।
● रुद्राभिषेक क्या होता है?
रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है इसको जानने से पहले आप ये जान लीजिए कि रुद्राभिषेक आखिर होता क्या है जो पिछले कुछ वर्षों में काफी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ अगर हम जानें तो इसका अर्थ होता है ‘स्नान कराना’। इसलिए रुद्राभिषेक का अर्थ हुआ भगवान शिव का अभिषेक करना या उनको स्नान कराना। भोलेनाथ या शिवलिंग पर रुद्र के पवित्र मंत्रों के जाप के साथ उनका अभिषेक किया जाता है। अगर वर्तमान समय की बात करें तो अभिषेक को रुद्राभिषेक के रूप में ही विश्रुत किया गया है। वैसे तो अभिषेक के कई रूप और कई प्रकार हैं मगर अगर भोलेनाथ को प्रशन्न करना है तो सबसे उत्तम अभिषेक रुद्राभिषेक ही है। रुद्राभिषेक भोलेनाथ को बहुत प्रिय है। इसीलिए रुद्राभिषेक करने के बाद भक्त भोलेनाथ से मनचाहा वरदान पा सकते हैं।
● रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है?
अगर कोई भी मनुष्य भगवान शिव को प्रशन्न करना चाहता है तो इसके लिए सबसे यही विकल्प है ‘रुद्राभिषेक’। रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ प्रशन्न होते हैं और सारे पापों का अंत करके मनचाहा वरदान देते हैं। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि शिव जी को उनका रुद्र रूप बहुत ही प्यारा होता है। यही कारण है कि भोलेनाथ को रुद्राभिषेक भी बहुत अधिक प्रिय होता है। ऐसे में जो मनुष्य रुद्राभिषेक का आयोजन करते हैं, भोलेनाथ उनसे बहुत अधिक प्रशन्न होते हैं। शिवजी को प्रशन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका यही है कि भक्तों के द्वारा रुद्राभिषेक किया जाए या फिर किसी विद्वान या श्रेष्ठ ब्राह्मणों के द्वारा इसका आयोजन करवाया जाए। शिवजी ने अपनी जटा में गंगा मैया को धारण किया था। इसीलिए शिव शम्भू को जलधाराप्रिय भी माना गया है।
जब भोलेनाथ रुद्र रूप में होते हैं तो वो अपने भक्तों के सारे दुखों को हर लेते हैं। इसका अर्थ ये हुआ कि इस पूजा को करने से जो दुख होते हैं उनका अंत हो जाता है। वहीं जो भी दुख हमारे जीवन में हैं, जिनसे आज हम परेशान हैं, वो सब हमारे स्वयं के पापों का नतीजा है। जो भी हम जाने अनजाने में आचरण कर देते हैं उसका नतीजा दुख के रूप में हमारे सामने होता है। ऐसे में इनसे मुक्त होने के लिए हमें पूजा अर्चना का सहारा लेना पड़ता है। जिसमें रुद्राभिषेक को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। रुद्राभिषेक कराने से इंसान शीघ्र ही पापों से मुक्त हो जाता है।
● रुद्राभिषेक करने की शुरुआत कैसे हुई?
इसके पीछे दो प्रचलित कथा है।
◆ पहली कथा-
प्राचीन कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से जो कमल उत्पन्न हुआ था उसी से ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई थी। फिर एक बार ब्रह्माजी अपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंच गए। तब विष्णु जी ने उन्हें उनके जन्म का रहस्य बताया और ये बताया कि उनकी उत्पत्ति कैसे हुई है। इस बात पर ब्रह्माजी को गुस्सा आ गया और ये बात मानने के लिए तैयार ही नहीं हुए की उनको उत्पन्न करने वाले विष्णु जी हैं। दोनों में भयंकर युद्ध छिड़ गया। फिर इस युद्ध को शांत करने के लिए भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए। फिर जब ब्रह्मा और विष्णु को इस युद्ध के आदि और अंत पता नहीं चला तो उन्होंने हार मानते हुए लिंग का अभिषेक कर लिया। इस अभिषेक से रुद्र काफी प्रशन्न हुए। बस तभी से रुद्राभिषेक का आरंभ हुआ और भोलेनाथ को प्रशन्न करने के लिए रुद्राभिषेक का जगह- जगह आयोजन किया जाने लगा।
◆ दूसरी कथा-
एक बार भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ वृषभ की सवारी कर रहे थे। उस दौरान माता पार्वती ने लोगों को रुद्राभिषेक करते हुए देखा तो उन्होंने इस अभिषेक के बारे में जानने की इच्छा को व्यक्त किया। उन्होंने इस पूजा के बारे में और इससे होने वाले लाभ के बारे में भगवान शिव से पूछा। तब उन्होंने इसका जवाब देते हुए माता पार्वती को बताया कि, ‘हर मनुष्य ये चाहता है कि उसे शीघ्र ही फल की प्राप्ति हो। ऐसे में मनुष्य अपनी कामना पूर्ति की इच्छा रखते हुए विविध द्रव्यों से रुद्र का अभिषेक करते हैं। इससे मैं शीघ्र ही प्रशन्न होता हूँ और उन्हें मनचाहा वरदान प्रदान करता हूँ।’
● रुद्राभिषेक से होने वाले लाभ:-
वैसे तो रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। रुद्र को अलग- अलग द्रव्यों से प्रशन्न किया जाता है। ये मनुष्य की इच्छा पर निर्भर करता है कि उसे कौन से फल को प्राप्त करना है एवं कौन से द्रव्य से भोलेनाथ को प्रशन्न करना है। अगर कोई व्यक्ति वाहन प्राप्ति की इच्छा रखता है तो ऐसे में उस व्यक्ति को दही से अभिषेक करना चाहिए। वहीं यदि किसी मनुष्य को रोगों से मुक्त होना है तो उसे रुद्र को कुशा के जल से अभिषेक कराना चाहिए।