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बाद आत्मा

मृत्यु एक ऐसा सच है जिससे कोई चाहकर भी पीछे नहीं हट सकता है। हम सभी को जीवन ही इसीलिए मिलता है ताकि एक दिन हम अपने शरीर का त्याग कर सकें। जिस भी इंसान ने धरती पर जन्म लिया है, उसको आज नहीं तो कल इस धरती से विदाई लेनी ही होती है। कोई भी धरती पर अमर होकर नहीं आता है। जीवन का चक्र ही यही है। आज जिसका जन्म हुआ है, आने वाले समय में वो धरती छोड़कर चला जाएगा, फिर उसको उसके कर्मों के हिसाब से नया जन्म और नया शरीर मिलता है। हालांकि हर कोई मृत्यु जैसे सच का सामना करने से डरता है लेकिन बावजूद इसके सबकी यही इच्छा होती है कि वो इसके बारे में जाने।

हम सभी धरती पर रहकर यह तो देखते ही हैं कि जीवन क्या होता है और किस तरह से व्यक्ति जीवन व्यतीत करता है। लेकिन मृत्यु के बारे में कोई नहीं जानता है। हम सब बस अपनी अपनी एक धारणा बनाए हुए बैठे हैं। ये हम सब जानते हैं कि व्यक्ति के जीवन चक्र की शुरुआत होते हैं बच्चे के जन्म से। बच्चे का जीवन चक्र तभी शुरू हो जाता है जब बच्चा मां के पेट मे रहता है। उसके बाद बच्चे का जन्म होता है जिसे हम सभी अपनी आंखों के सामने देखते हैं फिर वो बच्चा बड़ा होता है और जीवन जीता है, जैसे उसे जीना होता है। इस जीवन में ही वो अच्छे और बुरे कर्म दोनों करता है। फिर व्यक्ति का जीवन खत्म होता है जब वो धरती पर अंतिम बार सांस लेता है। इसके बाद क्या होता है किसी को नहीं पता क्यूंकि किसी ने देखा ही नहीं होता है मृत्यु के बाद का सफर।

हर व्यक्ति अपने अपने अलग अलग कर्म करते हैं। इसी कर्म के हिसाब से ही व्यक्ति को आगे फिर फल मिलते हैं। आपके कर्मों का फल आपको इसी जन्म में मिल जाता है परंतु ऐसा नहीं है कि मरने के बाद आप मुक्त हो जाते हैं। मरने के बाद भी आपको आपके कर्मों के हिसाब से ही मृत्यु के आगे का सफर तय करना होता है। इसी कर्म पर ही निर्भर करता है कि आपको स्वर्ग लोक में जाना है या नर्क लोक में। इसके अलावाजब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके बाद भी व्यक्ति की आत्मा इस धरती पर कुछ दिनों के लिए रह जाती है। आइये इस बारे में हम आगे जानते हैं।

जब मृत्यु होती है तो कैसा महसूस होता है-

मरने की जो स्तिथि है उसका वर्णन करना आसान नहीं है। यह एक ऐसा समय होता है जब व्यक्ति अपने पूरे जीवन को बस एक ही क्षण में जी लेता है। भले ही व्यक्ति की याददाश्त कितनी ही कमज़ोर क्यों न हो, लेकिन जब उसकी मौत आती है तो उसका पूरा जीवन उसकी आँखों के सामने तैरने लगता है। ये सब एक वीडियो रिकॉर्डिंग की तरह उसकी आँखों के सामने रहता है। उस एक क्षण में व्यक्ति अपने अच्छे और बुरे सारे कर्मों को देख लेता है। जब व्यक्ति की मौत आती है तो उसकी जितनी भी इन्द्रियां होती हैं वो शिथिल होने लगती हैं लेकिन याददाश्त उसे उसकी सभी पुरानी बातों पर वापस ले जाती है। जो व्यक्ति ने पूरे जीवन में किया होता है, वो सारे लेखा जोखा उसकी आँखों के सामने आ जाता है। इस समय व्यक्ति कोशिश तो बहुत करता है कि उसके मुंह से कुछ शब्द निकल सके, लेकिन वो कुछ भी बोल पाने में असमर्थ हो जाता है।

यमदूत आने लगते हैं नज़र-

जब व्यक्ति मरने लगता है तो उसे लेने के लिए 2 यमदूत आते हैं। यही यमदूत व्यक्ति को नज़र आने लगते हैं। जिन लोगों ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किये होते हैं, उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती है और उनके प्राण आसानी से शरीर से निकल जाते हैं। वहीं जिन लोगों ने अपने जीवन में अच्छे कर्म नहीं किये होते हैं, उन्हें बहुत ज्यादा दिक्कत होती है। उनके प्राणों को निकलने में काफी कष्ट होता है। यही कारण है कि मृत्यु से पहले गौ दान करवाया जाता है। इसको पुण्य का काम माना जाता है। गाय को दान करने से जो पुण्य मिलता है, उससे व्यक्ति की मृत्यु शांतिपूर्ण ढंग से हो पाती है। फिर यमलोक में जाकर व्यक्ति के कर्मों का हिसाब किताब होता है। इसके बाद आत्मा को नया शरीर तलाशने के लिए वहीं मृत्यलोक में भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है। फिर भटकती हुई आत्मा नए शरीर की तलाश करती है।

धरती पर 13 दिनों के लिए रहती है आत्मा

जब आत्मा को यमदूत ले जाते हैं उसके बाद उसको फिर से वापस भेज दिया जाता है उसके परिजनों के पास। आत्मा अपने पुराने शरीर और परिजन को छोड़कर जाना नहीं चाहती है इसीलिए वो बार बार यही चाहती है कि उसका पुराना शरीर उसे मिल जाए। यमदूत उसे बांधे हुए रखते हैं इसीलिए वो अपने पुराने शरीर को वापस नहीं पा पाती है। जब 10 दिन बाद आत्मा की संतान उसका पिंड दान कर देती है उसके बाद उसको जाने की शक्ति मिल पाती है। बस इसी के बाद उसको नया शरीर तलाशने के लिए शक्ति मिल पाती है। आत्मा को नया शरीर मिलने में लगभग 47 दिन का समय लग जाता है। लेकिन अगर आत्मा का सही से विधि विधान से अंतिम संस्कार नहीं होता है तो आत्मा काफी लंबे समय तक भटकती रहती है। यही कारण है कि अकाल मृत्यु हो जाने पर जल्दी से आत्मा को शांति नहीं मिलती है।

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