हिंदू धर्म में हर चीज़ की बहुत अधिक मान्यता है। बच्चे का जब जन्म होता है तब भी बहुत सारे रीति रिवाजों का पालन किया जाता है और फिर जब किसी की मृत्यु होती है तो भी पूरे विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार किया जाता है। हिंदू धर्म में जितनी भी रस्में और रीति रिवाजों का पालन किया जाता है उन सभी के पीछे कोई न कोई वजह है। जैसे कि किसी की मृत्यु हो जाने के बाद अगर उसका अंतिम संस्कार ठीक से नहीं किया जाता है तो ऐसा माना जाता है कि उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है और वो भटकती ही रहती है। फिर भटकती हुई आत्मा अपने आसपास के लोगों को परेशान करती है और किसी शरीर की चाहत में इधर से उधर घूमती रहती है। ऐसे में नियमों का पालन ज़रूर किया जाना चाहिए।
यही कारण है कि हिंदू धर्म में श्राद्ध को भी बहुत अधिक महत्व दिया गया है। श्राद्ध को पितृ पक्ष में किया जाता है। इसी पितृ पक्ष को ही श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण या फिर श्राद्ध किया जाता है। ऐसे इसलिए किया जाता है क्योंकि ऐसा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह कार्य पूरे रीति रिवाजों का पालन करके किया जाता है और जब आपके पितर आपसे प्रशन्न हो जाते हैं तो वो आपको आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कई बार ऐसा भी हो जाता है कि लोगों को श्राद्ध की तिथि याद नहीं रहती है या फिर किसी कारणवश लोग इस तिथि को भूल जाते हैं। ऐसे में समस्या यह उतपन्न हो जाती है कि लोग श्राद्ध की तिथि को आखिर पता कैसे करें जिससे उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो सके। आज हम इस लेख में आप सभी से यही बताने जा रहे हैं कि आप श्राद्ध की तिथि कैसे निकाल सकते हैं।
श्राद्ध क्या होता है?
श्राद्ध के नाम से ही पता चलता है कि किसी के प्रति श्रद्धा भाव को प्रकट करना। यही कारण है कि जो भी लोग मृत हो गए हैं, उनका श्राद्ध किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता पार्वती और शिव को श्रद्धा विश्वास रुपिणौ है।
किस दिन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाना चाहिए?
अगर पितरों की आत्मा की शांति के लिए कोई भी व्यक्ति श्राद्ध करना चाहता है तो वो हर माह इस काम को कर सकता है, लेकिन पितृ पक्ष में किया जाने वाला श्राद्ध सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। अब इसमें भी एक विशेष तिथि होती है जिसमें आपको पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। अगर आपको ये पता है कि आपके पूर्वज का देहांत किस तिथि को हुआ है तो आप पितृ पक्ष में उनकी देहांत की तिथि को ही उनका श्राद्ध करें। कई बार ऐसा भी होता है कि आपको वो तिथि याद नहीं रहती है जिस दिन पूर्वज का निधन हुआ हो। ऐसे में आप आश्विन अमावस्या को उनका श्राद्ध कर सकते हैं। इसी आश्विन अमावस्या को ही सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। जिन लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है यानी समय के पहले जिनकी मौत हो जाती है, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाना चाहिए। अगर आप पिता का श्राद्ध करते हैं तो इसके लिए अष्टमी तिथि उपयुक्त होती है, वहीं यदि आप माता का श्राद्ध करते हैं तो इसके लिए नवमी तिथि काफी उपयुक्त मानी जाती है।
श्राद्ध की तिथि का पता कैसे लगाएं?
अगर आप श्राद्ध की तिथि के बारे में पता लगाने चाहते हैं तो आप नीचे बताए गए तरीके को अपनाकर श्राद्ध की तिथि का पता कर सकते हैं-
◆ इसके लिए आपको सबसे पहले अपने मोबाइल या सिस्टम पर गूगल को ओपन करना है।
◆ अब आप जिस व्यक्ति की श्राद्ध की तिथि के बारे में पता करना चाहते हैं, सबसे पहले उसकी मृत्यु की तिथि डालें।
◆ जैसे ही आप मृत्यु की तिथि डाल देंगे, उसके बाद आपको सर्च पर क्लिक करना है।
◆ जब आप सर्च करेंगे उसी दौरान गूगल आपको बता देगा कि आपके पूर्वज की मृत्यु कब हुई थी।
◆ बस अब इस तिथि को देखने के बाद आप इसी तिथि पर अपने पूर्वज का श्राद्ध कर सकते हैं।
ये श्राद्ध की तिथि के बारे में पता करने का सबसे आसान तरीका है। इसके अलावा अगर आप चाहें तो किसी विद्वान पंडित से इस बारे में परामर्श भी ले सकते हैं।