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हिंदू धर्म में अलग अलग व्यक्तियों का अंतिम संस्कार अलग अलग तरीके से किया जाता है। अगर हिंदू धर्म में किसी बच्चे की मौत होती है तो उसको धरती में दफना दिया जाता है। वहीं अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसे जला दिया जाता है। इसके अलावा जब किसी विवाहित महिला की मृत्यु होती है तो उसका अंतिम संस्कार बिल्कुल अलग तरीके से किया जाता है। विवाहित महिलाओं को सुहागन के नाम से जाना जाता है। सुहागन का अंतिम संस्कार करने का तरीका काफी अलग है। सुहागिनों का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है इस बारे में सही से जानकारी किसी को नहीं होती है। इसीलिए आज इस लेख में हम जानेंगे कि सुहागन महिलाओं का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है।

● सुहागिन का अंतिम संस्कार करते समय क्यों किया जाता है उनका सोलह श्रृंगार;-

जब भी किसी सुहागिन महिला की मृत्यु होती है तो उसका अंतिम संस्कार करते समय उसका सोलह श्रृंगार किया जाता है। सुहागिन का अंतिम संस्कार सोलह श्रृंगार के बिना पूरा ही नहीं होता है। इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण है। यह कारण आज से नहीं बल्कि रामायण काल से ही प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि जब सीता माता को उनके विवाह के लिए सजाया जा रहा था तो उनका सोलह श्रृंगार किया जा रहा था। उस समय उनकी माता सुनैना उनके सामने बैठी थीं और सीता माता ने मां सुनैना से सोलह श्रृंगार के महत्व को जानने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद माता ने उन्हें इसका महत्व बताया जो कि इस तरह से है-

◆ बिंदी-

जिस तरह से रोज सूर्य भगवान इस धरती को प्रकाश देकर इसे प्रकाशमयी बनाते हैं, ठीक वैसे ही एक नारी को अपनी शरारतों को छोड़कर और बचपने को त्यागकर अपने परिवार को अपने तेज़ और ऊर्जा से प्रकाशित करना होता है।

 ◆ काजल-

काजल का भी श्रृंगार में विशेष महत्व होता है। काजल लगाने का यह मतलब होता है कि नारी अपने अंदर लज्जा और शीतलता को धारण कर रही है। इससे बुरी नज़र से भी बचाव हो पाता है और बड़ों के समक्ष नेत्रों को झुकाने से सम्मान भी प्रकट होता है।

◆ नथ-

ये तो सभी जानते हैं कि नारी का मन कितना ज्यादा चंचल होता है। ऐसे में चंचल मन को शांत करने के लिए नथ का धारण करना अत्यंत आवश्यक है। ये हमेशा इस बात का नारी को स्मरण कराती रहती है कि नारी को कभी भी अपने मन के अधीन नहीं होना है।

◆ टीका-

टीका स्त्री इसलिए धारण करती है क्योंकि टीका ही परिवार की प्रतिष्ठा और यश का प्रतीक होता है। इसीलिए एक औरत को ऐसे हर एक काम से बचना चाहिए जिससे उसकी प्रतिष्ठा यानी उसके पिता पर कोई भी आंच आए।

◆ कर्णफूल-

कर्णफूल हमेशा एक स्त्री को दूसरों की प्रशन्नता को सुनने के लिए लालायित करते हैं। अगर कभी गलती से भी कोई गलत बात सुन ली जाती है तो भी उसका अनुसरण नहीं करना है इस बात का संकेत देते हैं ये कर्णफूल।

◆ अंगूठी-

इसको धारण करने का भी एक विशेष महत्व होता है। इसको सुहागिन महिलाएं इसलिए धारण करती हैं क्योंकि वो अपने पति के प्रति निष्ठावान रहती हैं। इससे उनके हृदय में उनके पति के लिए स्नेह बना रहता है।

◆ बिछुआ-

ये हमेशा स्त्री को छल कपट से दूर रहने की बात बताते हैं। इससे स्त्री को अपने मन पर काबू पाने में भी साहस मिलता है। परिवार में उसकी मान और प्रतिष्ठा बनी रहती है।

◆ पायल-

ऐसा माना जाता है कि पायल सौभाग्य का प्रतीक होती है। इसकी मधुर ध्वनि से घर की स्म्रति बढ़ती है। यह इस बात की तरफ भी इशारा करती है कि स्त्री का स्थान उसके पति के चरणों में होता है। जिस तरह से माता लक्ष्मी का स्थान भगवान विष्णु के चरणों में होता है। ठीक वैसे ही हर स्त्री का स्थान उसके पति के चरणों में होता है।

◆ कंगन-

कंगन इस बात की ओर इशारा करते हैं कि स्त्री हमेशा कठोर और कड़वे वचनों से दूर रहेगा और कभी भी ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करेगी, जिससे सुनने वाले को बुरा लगे।

◆ बाजूबंद-

बाजूबंद भी सोलह श्रृंगार का ही एक हिस्सा है। बाजूबंद यह बताते हैं कि सुहागिन स्त्री को अपने परिवार की धन संपत्ति की भी रक्षा करनी होती है। साथ ही स्त्री को अपने पति के समक्ष कोई ऐसी मांग नहीं रखनी होती है जिसे पूरा न किया जा सके और अपने मन पर काबू रखना होता है।

◆ कमरबंद-

कमरबंद इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि इसको पहनने के बाद एक स्त्री अपने स्वामी के घर की स्वामिनी हो जाती है और उसे बहुत ही सजगता के साथ अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करना होता है।

◆ गजरा-

गजरा का काम होता है सुंगन्ध फैलाना। इसीलिए हमेशा गजरा धारण करके ही महिलाओं को पूजा करनी चाहिए। इससे पूरा घर सुगन्धित रहता है और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

◆ हार-

स्त्री के गले का हार इस बात का प्रतीक होता है कि महिला अपने पति से हर हार को स्वीकार करेगी और वो अपने पति को कभी भी हार की स्तिथि में नहीं देख सकती है। पति की जीत में ही पत्नी की जीत होगी।

◆ मेहंदी-

मेहंदी स्नेह और प्रेम का प्रतीक होती है। इसका बहुत अधिक महत्व होता है। मेहंदी की लालिमा इस बात की ओर इशारा करती है कि परिवार में भी स्नेह और प्रेम की लालिमा बनी रहेगी। साथ ही ये स्त्री की पति के प्रति प्रेम और निष्ठा को भी दर्शाती है।

◆ सिंदूर-

सोलह श्रृंगार में सिंदूर का सबसे ज्यादा महत्व होता है। सिंदूर ही एक स्त्री के सुहागिन होने का प्रतीक होता है। सिंदूर हमेशा औरतों को अपनी मांग में सजाना होता है और पति की लंबी आयु की प्रार्थना करनी होती है।

◆ मंगलसूत्र-

मंगलसूत्र को धारण करने से पति के प्रति अविश्वास पैदा नहीं होता है और ये इस बात का प्रतीक होता कि दाम्पत्य जीवन सुखमय होगा। इससे महिलाओं को वो सुख भी मिल जाते हैं जो उसके जीवन में नहीं होते हैं लेकिन उसके पति की बदौलत उसको मिल जाते हैं।

ये था सोलह श्रृंगार का महत्व। इसीलिए जब किसी सुहागिन की मृत्यु हो जाती है तो उसका सोलह श्रृंगार अवश्य किया जाता है और उसके बाद उसका पूरे रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कर दिया जाता है।

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