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मृत्यु-का-समय

हर किसी को यही लगता है कि सबका भाग्य पहले से ही लिखा हुआ होता है। इसी भाग्य में यह भी लिखा हुआ होता है कि व्यक्ति की मौत कब होनी है। यानी इसका मतलब यह हुआ है कि सबके हिसाब से हर व्यक्ति की मौत उसी समय तय हो जाती है जब उसका भाग्य लिखा जाता है। जन्म का समय हो या मरण का समय सब कुछ पहले ही तय होता है। लेकिन क्या आप सभी को यह लगता है कि ये बात सच है? मृत्यु का जो समय है वो निश्चित है या नहीं, इस बात के बारे में कोई भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता है और न ही कोई सटीक उत्तर दिया जा सकता है। इसको लेकर सबकी अपनी अपनी राय है। लेकिन अगर हम बड़े बड़े विद्वानों की बात करें तो उनका यह मानना है कि किसी भी व्यक्ति की जो मौत का समय होता है वो निश्चित नहीं होता है। हालांकि व्यक्ति के मरने को लेकर कुछ आशंकाएं और संभावनाएं बनी रहती हैं। अब आप सबके मन में ये प्रश्न आ रहा होगा कि कैसी आशंका होती है जो यह दर्शाती है कि व्यक्ति की मृत्यु होगी आदि? तो चलिए इसके बारे में हम आपको बताते हैं। इस लेख में आज हम आप सभी से इसी बारे में बात करेंगे। हम आपको बताने जा रहे हैं कि व्यक्ति की मौत का जो समय होता है वो निश्चित क्यों नहीं होता है।

अगर हम बात करें मृत्यु की तो हम दो तरह की मृत्यु के बारे में जानते हैं। पहली होती है स्वाभाविक मृत्यु और दूसरी होती है अकाल मृत्यु। स्वाभाविक मृत्यु तो आज के समय में बहुत ही कम लोगों को नसीब होती है। ये ऐसी मृत्यु होती है जिसमें व्यक्ति अपनी पूरी ज़िंदगी जी लेता है और बिना किसी बीमारी तथा बिना किसी चोट चपेट के मर जाता है। अब सभी के मन में आ रहा होगा कि ये कैसे पता चलेगा कि किसी ने अपना जीवन पूरा जी लिया है? तो हम आप सभी को बता दें कि ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है जिससे ये बताया जाए कि स्वाभाविक मृत्यु की क्या उम्र होनी चाहिए। लेकिन फिर भी 100 वर्ष की आयु पूरी कर लेने पर यह मान लिया जाता है कि व्यक्ति ने अपने जीवन पूरा जी लिया है। अगर हम लोग पहले का समय देखें तो पहले के लोग हैं वो सभी ज्यादातर 100 के आसपास ही अपने प्राणों को त्यागते थे, लेकिन अब मुश्किल से ही लोग 100 का आंकड़ा छू पाते हैं। इससे ये पता चलता है कि ज्यादातर लोग अकाल मृत्यु प्राप्त करते हैं।

● क्या व्यक्ति की मौत का समय तय होता है?

बड़े बड़े पंडितों के यह मानना है कि व्यक्ति की मौत का एक निश्चित समय होता है, लेकिन ये निश्चित नहीं होता है कि किस समय में व्यक्ति की मौत होगी। या फिर यह कह लीजिए कि कोई भी यह नहीं जानता है कि किस समय या किस स्थान पर वो मौत को प्राप्त हो जाएगा। चलिए इसको हम एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि आपने गमले में कोई पौधा उगाया और वो एक ऐसा पौधा है जिसे आपको सीजन सीजन बदलना होगा। ऐसे में उस पौधे के बड़े होने का भी एक निश्चित समय होगा लेकिन ये कहना मुश्किल होगा कि कौन सी तिथि को वह बड़ा होगा। उसी तरह से उसको गमले से निकालकर किसी अन्य पौधे को निकालने का भी एक निश्चित समय होगा मगर किस समय ये किया जाएगा, ये नहीं पता होता है। ऐसा ही कुछ मौत के साथ भी होता है। मौत का एक समय निश्चित होता है मगर तिथि और समय बता पाना मुश्किल है।

अब आप मान लीजिए कि जो पौधा आपने गमले में लगाया था वो कोई जानवर जैसे बकरी आदि आकर खा जाए तो? तो ऐसे में तो वो पौधा खत्म हो जाएगा न? लेकिन उसका समय तो निश्चित था। बावजूद उसके वो नहीं बच पाया। इसी को कहते हैं अकाल मृत्यु। जहां पर व्यक्ति की मौत का समय भी निश्चित नहीं होता है।

हम इंसानों का जीवन तो पूरी तरह से कठिनाइयों से भरा हुआ है। हमेशा कोई न कोई समस्या आती रहती है। कभी कोई बीमारी तो कभी कोई बीमारी लगी ही रहती है। अगर कभी व्यक्ति को ठीक तरह से इलाज़ नहीं मिल पाया तो फिर उसकी मृत्यु हो जाती है। ये सब अकाल मृत्यु ही तो होती है। किसी का एक्सीडेंट हो जाना, किसी का ज़हर खा लेना, किसी का छत से नीचे गिर जाना आदि, ये सब अकाल मृत्यु ही होती है। इसमें व्यक्ति के मरने का समय निश्चित नहीं होता है। हालांकि जो आपकी कुंडली होती है उसमें ये बताया गया होता है कि आपको कब किस चीज़ से सावधान रहने की ज़रूरत होती है। लेकिन कुंडली में भी मौत के समय के बारे में कुछ नहीं कहा गया होता। अक्सर हम देखते हैं कि लोगों की आत्माएं भटकती रहती हैं।

ये आत्माएं ज्यादातर कम उम्र के व्यक्तियों की होती हैं। कम उम्र की आत्मा के भटकने के पीछे यह कारण है कि वो लोग अपना जीवन पूरा किए बिना ही अपने प्राणों को त्याग देते हैं। फिर जितना समय उनको दिया गया था शरीर को धारण करने के लिए वो उसको बिना पूरा किये ही चले जाते हैं और उनकी आगे गति नहीं हो पाती है। उनकी इच्छाएं वगेरह भी सब अधूरे रह जाते हैं जिसकी वजह से वो भटकते रहते हैं। फिर जब उनका समय पूरा हो जाता है तब वो मुक्ति पा जाते हैं और भूत प्रेत से मुक्त होकर वो किसी जीव के शरीर में चले जाते हैं और फिर जन्म लेते हैं। यह सब यही तो दर्शाता है किसी भी व्यक्ति की अकाल मृत्यु का कोई भी समय निश्चित नहीं होता है।

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